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श्योपुर में आज भी मौजूद हैं मौर्य – गुप्त और परमार राजवंश की निशानियां

SHEOPUR-FORT

– 1537 ई. में हुआ था श्योपुर किले का निर्माण, राजा इंद्रसिंह ने की थी स्थापना

मध्यप्रदेश का श्योपुर जिला अपने अंदर अनेक विरासतें संजोए हुए हैं. इतिहासकारों के अनुसार श्योपुर जिला मुख्यालय सीप नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है. इतिहास के मुताबिक श्योपुर की धरती मौर्य, गुप्त और परमार जैसे शक्तिशाली राजवंश के अधीन रहा. इन शासकों द्वारा यहां अनेक धार्मिक-आकर्षक कलाओं से परिपूर्ण अनेक निर्माण कराए, जिनके प्रमाण आज भी देखने को मिलते हैं. श्योपुर में अनेक ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिन्हें देखने के लिए मध्यप्रदेश सहित देश भर के अनेक राज्यों से पर्यटक आते हैं. बाहरी पर्यटकों की वजह से श्योपुर की जनता को आर्थिक व्यापार भी मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दिन व दिन सुदृढ़ होती जा रही है.  

हालांकि मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के मुताबिक 15वीं सदी में जयपुर राजघराने के सामंत गौड़ राजपूत समाज का आधिपत्य रहा. राजा इंद्रसिंह द्वारा यहां 15वीं सदी (1537) में श्योपुर किले का निर्माण कराया था. गौड़ राजपूत राजा भगवान शिव के उपासक थे, जिसकी वजह से यहां अनेक शिव मंदिरों का निर्माण भी कराया गया था. इतिहासकारों के अनुसार श्योपुर की धरती मुगल साम्राज्य, मराठा साम्राज्य के भी आधीन रही. मुगल शासन और मराठा शासनकाल के कुछ ऐतिहासिक अवशेष भी यहां मिलते हैं. 

ग्वालियर रियासत का रहा हिस्सा

बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी में श्योपुर की धरती ग्वालियर रियासत का हिस्सा बन गई, जिस पर सिंधिया वंश का शासन था. सिंधिया शासकों ने श्योपुर के विकास में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए. भारत की आजादी के बाद 1947 मं श्योपुर तत्कालीन मध्य भारत का हिस्सा बना, जबकि साल 1956 में राज्यो के गठन के बाद यह मध्यप्रदेश में शामिल हुए. यही कारण है कि वर्तमान राजनीति में भी श्योपुर जिले में ग्वालियर राजघराने का अच्छा खासा प्रभाव हैं. 

कूनो ने दी विशेष पहचान

स्वतंत्र जिले के बाद श्योपुर को पूरे देश में सबसे बड़ी पहचान कूनो नेशनल पार्क के रूप में मिली, जहां 70 साल बाद फिर से चीतों को बसाया गया है. अब से तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों को छोड़ा गया. यह चीते स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रिलीज किए गए. दूसरी खेप भी चीते लाए गए और यहां छोड़े गए. शुरुआती दौर में काफी उतार चढ़ाव के बीच कई यहां के वातावरण में नहीं ढल पाने की वजह से अनेक चीतों की मौत भी हुई, लेकिन अब धीरे-धीरे इनके कुनबे में इजाफा होता जा रहा है. इन चीतों को देखने के लिए अब देश-प्रदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक कूनो नेशनल पार्क पहुंचते हैं. कूनो नेशनल पार्क की वजह से श्योपुर की आर्थिक स्थिति में भी निरंतर विकास हो रहा है. 

1998 में मिला जिले का दर्जा

बताया जाता है कि साल 1998 में श्योपुर को शिवपुरी जिले से अलग कर स्वतंत्रता जिले का दर्जा दिया गया. श्योपुर जिला अपनी पुरानी विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य के जाना जाता है. श्योपुर जिले की वर्तमान स्थिति की बात करें तो यह जिला 6606 स्क्वे. किमी. क्षेत्र में फैला है. यहां की कुल आबादी 6 लाख 87 हजार 861 है, जिनमें पुरुष 3 लाख 61 हजार 784 और महिला 3 लाख 26 हजार 77 हैं. श्योपुर जिले में कुल गांव 585 हैं. यहां तीन नगरीय निकाय, वहीं 225 ग्राम पंचायते हैं. जिला सरकारी अस्पताल एक हैं, मुख्य डाक विभाग, 4 बैंके, कॉलेज/विश्वविद्यालय 2, नगर पालिका तीन और विद्यालय 2 हैं. 

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