सेवा पखवाड़ा अभियान को लेकर आदेश जारी, PM मोदी के जन्मदिन पर ये होगा खास

सेवा पखवाड़ा 2025: प्रदेश में जनकल्याण और स्वच्छता को नई दिशा देने के उद्देश्य से सेवा पखवाड़ा अभियान की शुरुआत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक की जा रही है। इस पखवाड़े के दौरान सरकार और समाज मिलकर सेवा, स्वच्छता और जन-भागीदारी को सशक्त बनाने का कार्य करेंगे। प्रदेश सरकार ने इस अभियान को लेकर आवश्यक आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर स्तर पर सक्रिय भागीदारी हो । सेवा, स्वास्थ्य और स्वच्छता का समर्पित उत्सव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन (17 सितंबर) को खास रूप देने के लिए सेवा पखवाड़ा का आयोजन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक किया जा रहा है। इस विशेष पखवाड़े के दौरान देशभर में रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य शिविर, और वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, नमो मैराथन, दिव्यांगजनों को उपकरण वितरण, और महिला स्वास्थ्य समूहों की सक्रिय भागीदारी इस अभियान को और व्यापक बनाएगी। खादी उत्पादों की खरीद को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता और स्थानीय उद्योगों को भी समर्थन दिया जाएगा।
लाडली बहना योजना की 28वीं किस्त, सीएम डॉ. मोहन यादव ने ट्रांसफर की 1541 करोड़ से अधिक की राशि…

झाबुआ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने झाबुआ जिले के पेटलावद से लाडली बहनों को बड़ी सौगात दी है। उन्होंने 1.26 करोड़ बहनों के खातों में 1541 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की है। इसके साथ ही 31 लाख से अधिक बहनों को गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लिए 48 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं। इसके दौरान मुख्यमंत्री ने 345.34 करोड़ की लागत से विभिन्न विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण भी किया। 1541 करोड़ से अधिक की राशि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को झाबुआ जिले के पेटलावद से राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान लाड़ली बहन योजना की 28वीं किस्त के तहत 1.26 करोड़ से अधिक बहनों के खातों में 1541 करोड़ रुपये का सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरण किया। इसके साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 53.48 लाख से अधिक पेंशन हितग्राहियों के खातों में 320.89 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि ट्रांसफर की गई। मुख्यमंत्री ने 31 लाख से अधिक बहनों के खातों में गैस रिफिलिंग के लिए 450 रुपये की राशि, जो कुल मिलाकर 48 करोड़ से अधिक है, भी सिंगल क्लिक से अंतरण की। विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य स्तरीय कार्यक्रम के तहत झाबुआ जिले में 345.34 करोड़ रुपये की लागत से 72 से अधिक विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण किया। इनमें विभिन्न विभागों के 194.56 करोड़ रुपये के 35 विकास कार्यों का भूमि पूजन और 150.78 करोड़ रुपये की लागत के 37 विकास कार्यों का लोकार्पण शामिल है। ये परियोजनाएं जिले के समग्र विकास और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी। झाबुआ के संजीवक” पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई जनजातीय आयुर्वेदिक परंपरा एवं चिकित्सा ज्ञान पर आधारित पुस्तक “झाबुआ के संजीवक” का विमोचन किया। झाबुआ जिले में जड़ी-बूटियों से उपचार का समृद्ध और प्राचीन ज्ञान जनजातीय समुदाय में सदियों से संरक्षित है। इस अनमोल ज्ञान को विलुप्त होने से बचाने के लिए जिला एवं विकासखंड स्तर पर “डुंगर बाबा नी जड़ी बूटियों नु जोवनार” नामक कार्यशालाओं का आयोजन कर इस ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया गया, जिसे अब पुस्तक के रूप में संकलित कर संरक्षित किया गया है। दिव्यांगजनों को कस्टमाइज्ड मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बीपीएल परिवारों के 11 दिव्यांग हितग्राहियों को उनकी सुविधाओं और गतिशीलता बढ़ाने के लिए कस्टमाइज्ड चार पहिया पेट्रोल चलित मोटरसाइकिल वितरित की।
कटआउट बना ‘रक्षक’… बंदरों को भगाने का देसी जुगाड़, वायरल हो रही हैं तस्वीरें

ग्वालियर। शहर की तीन प्रमुख पॉश कॉलोनियों में बंदरों के आतंक से लोग बेहाल हैं। इसी परेशानी ने उनके दिमाग को एक अनोखा समाधान निकालने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसा तरीका खोजा गया है, जिससे बंदर अब दूर-दूर तक नजर तक नहीं आते और लोग आखिरकार चैन की सांस ले रहे हैं। आइए जानते हैं इस दिलचस्प उपाय के बारे में… लोगों ने निकाला अनोखा समाधान शहर की रामबाग कॉलोनी, आदर्श कॉलोनी और अलीजा बाग इलाके में बंदरों का आतंक इतना बढ़ चुका है कि लोगों के लिए घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बता दें हर दूसरे घर के किसी न किसी सदस्य को बंदर काट चुका है। स्थानीय लोगों ने बार-बार वन विभाग और नगर निगम से शिकायत की, लेकिन उन्हें कोई ठोस राहत नहीं मिली। निराश होकर स्थानीय निवासियों ने खुद ही एक अनोखा तरीका खोज निकाला, जिसके बाद इलाके में बंदरों का नामो-निशान तक नहीं दिखाई दे रहा है। 3D लंगूर कटआउट ने बंदरों को भगाया मंदिर की छत से लेकर घर के मुख्य दरवाजे, बालकनी और यहां तक कि सोफा सेट पर भी लंगूर के 3D कटआउट लगाए गए हैं। ये लंगूर नकली हैं, लेकिन दिखने में इतने वास्तविक लगते हैं कि आम लोग भी हैरान रह जाते हैं। सबसे खास बात यह है कि बंदर इन नकली लंगूर को देखकर डर के मारे दूर-दूर भाग जाते हैं। इस क्रिएटिव उपाय ने बंदरों के आतंक से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्थानीय लोगों का सफल प्रयोग रामबाग कॉलोनी के निवासी सूर्यकांत शर्मा ने अपने घर पर लंगूर के 3D कटआउट लगाने का अनोखा प्रयोग किया, जो पूरी तरह सफल साबित हुआ। पहले घर के बगीचे में बंदरों का उत्पात आम बात थी। शेड के नीचे लगे पंखे टूट चुके थे। गैराज में रखी कीमती गाड़ियों को बंदरों ने स्क्रैच करके नुकसान पहुंचाया था। सोफे पर आराम से बैठना भी मुश्किल हो गया था। अब लंगूर के 3D कटआउट लगाने के बाद बंदरों का आतंक पूरी तरह खत्म हो गया है। स्थानीय लोगों के इस उपाय की सफलता का मुख्य कारण है कि लंगूर शारीरिक रूप से बंदरों से अधिक शक्तिशाली और फुर्तीले होते हैं। अपनी लंबी पूंछ को हथियार की तरह इस्तेमाल करने वाले लंगूरों की दबंग छवि से बंदर डरते हैं। साथ ही, लंगूरों की आवाज़ और उनके हाव-भाव भी बंदरों में खौफ पैदा करते हैं। यही वजह है कि जहां लंगूर होते हैं, वहां बंदर आने से कतराते हैं। यह जंगलों में भी एक सामान्य नियम है।
पति की अनोखी फरियाद, पत्नी और प्रेमी को लेकर थाने पहुंचा मामला

Viral News: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की परिभाषा ही बदल कर रख दी है। एक पति ने ऐसा कदम उठाया है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। पत्नी की बेवफाई से टूटे इस शख्स ने पुलिस के सामने जो अनोखी गुहार लगाई। उसने अपनी ही पत्नी की उसके प्रेमी से शादी कराने की मांग की है । इसके पीछे जो वजह बताई है, वो और भी चौंकाने वाली है। आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला… चार साल से चल रहा था पत्नी का अवैध संबंध यह सनसनीखेज मामला सिंगरौली जिले के बैढ़न थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक युवक ने अपनी पत्नी के खिलाफ पुलिस में आवेदन देकर मदद की गुहार लगाई है। युवक ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी का उत्तर प्रदेश निवासी राजेश कुमार वर्मा से पिछले चार सालों से अवैध संबंध चल रहा है। उसने बताया कि जब पहली बार उसे इस संबंध की जानकारी मिली, तो उसने कई बार पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। युवक का यह भी कहना है कि जब उसने इसका विरोध किया, तो पत्नी ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। यहां तक कि जान से मारने की धमकी तक देने लगी। अब पति को अपनी ही जान का खतरा महसूस होने लगा है। बेटे ने रोका तो कर दी मारपीट जानकारी के अनुसार, गुरुवार को महिला का प्रेमी राजेश कुमार वर्माउससे मिलने सिंगरौली पहुंचा था। यह देख दंपत्ति के 16 वर्षीय बेटे ने जब अपनी मां को रोका, तो उसके साथ मारपीट की गई। पति-पत्नी की शादी साल 2008 में हुई थी और दोनों के चार संतानें हैं । पीड़ित युवक ने बताया कि उसकी पत्नी की मूल रूप से सोनभद्र (यूपी) की रहने वाली है। उनका बेटा 16 साल का है, जबकि सबसे छोटी बेटी 14 साल की और दो जुड़वां बेटियां 11-11 साल की हैं। बच्चों के सामने हो रहे इस तरह के विवाद से परिवार का माहौल पूरी तरह बिगड़ चुका है।
रिश्तेदार ने युवती को दूसरे को सौंपा, युवक ने एक महीने तक बंधक बनाकर किया दुष्कर्म

गुना। जिले के मधुसूदनगढ़ क्षेत्र में एक युवती के अपहरण और दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपियों में युवती का एक रिश्तेदार भी शामिल है, जिसने भरोसे को तोड़ते हुए उसे दूसरे व्यक्ति के हवाले कर दिया था। पुलिस के मुताबिक, 17 जून को 22 वर्षीय युवती ने मधुसूदनगढ़ पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि वह अपने रिश्तेदार बीरमजी भील के घर पर थी। 21 अप्रैल को बीरमजी भील ने बलबान सिंह भील को घर बुलाया और ज़बरदस्ती युवती को उसके साथ भेज दिया। युवती के अनुसार, बलबान सिंह भील उसे जबरदस्ती अपने घर ले गया, जहां उसने युवती को करीब एक महीने तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान बलबान सिंह ने बार-बार उसका यौन शोषण किया और विरोध करने पर मारपीट भी की। 30 अप्रैल की रात मौका मिलते ही युवती किसी तरह वहां से भाग निकली और अपने घर पहुंची। पुलिस ने दोनों आरोपियों को किया गिरफ्तार युवती की शिकायत के आधार पर पुलिस ने बीरमजी भील और बलबान सिंह भील के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की। मुखबिरों से मिली सूचना के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में 24 वर्षीय बलबान सिंह भील (निवासी जलालपुर) और 66 वर्षीय बीरमजी भील (निवासी मोहरी) शामिल हैं। सख्त कार्रवाई का वादा पुलिस ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। गुना के पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने कहा कि पुलिस महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों को गंभीरता से लेती है। ऐसे अपराधों में शामिल आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भोपाल: नवरात्र से पहले दुर्गा प्रतिमा कारखाने पर छापा, मूर्ति निर्माण पर बवाल

भोपाल। राजधानी भोपाल में नवरात्र से पहले धार्मिक संगठनों की सक्रियता बढ़ गई है। रविवार को शहर के एक दुर्गा प्रतिमा निर्माण कारखाने पर हिंदूवादी संगठनों ने छापा मारा और प्रतिमाओं की जांच की। आरोप है कि कुछ मूर्तियां देवी दुर्गा के पारंपरिक स्वरूप से मेल नहीं खा रही थीं। उन्हें “आस्था के साथ खिलवाड़” बताया गया। हिंदू संगठनों का आरोप है कि मूर्तिकार पारंपरिक शैली की उपेक्षा कर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा जनरेट की गई तस्वीरें शामिल हैं। उनका कहना है कि इन तकनीकों के आधार पर बनाई जा रही मूर्तियों में देवी दुर्गा का स्वरूप धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं से मेल नहीं खा रहा। छापे के दौरान एक ऐसी प्रतिमा भी देखी गई, जिसका रूप न तो महिषासुर मर्दिनी जैसा था और न ही वह शेर पर सवार माता की पारंपरिक छवि को दर्शा रही थी। इस पर आपत्ति जताते हुए प्रतिमा निर्माण का कार्य तत्काल रोक दिया गया। मूर्तिकार को सख्त चेतावनी दी गई कि भविष्य में केवल परंपरागत स्वरूप वाली मूर्तियों का ही निर्माण किया जाए। हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष ने कहा “मां दुर्गा की प्रतिमा को किसी भी सूरत में कार्टून जैसा नहीं बनने दिया जाएगा। देवी का स्वरूप पारंपरिक होना चाहिए…चाहे वह महिषासुर मर्दिनी हो, शेर पर सवार माता हो या काली माता।” इस दौरान कुछ हिंदूवादी कार्यकर्ता मूर्तिकार की धार्मिक पहचान पूछते भी नजर आए। उन्होंने स्पष्ट किया कि दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण मुसलमानों द्वारा नहीं कराया जाना चाहिए। साथ ही शहर की दुर्गा समितियों से अपील की गई कि वे केवल पारंपरिक और धार्मिक भावनाओं के अनुरूप प्रतिमाओं को ही स्वीकार करें। यह घटना नवरात्र की तैयारियों के बीच सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने की आशंका भी पैदा कर रही है।
क्यों प्रसिद्ध है ग्वालियर? जानिए इस ऐतिहासिक शहर की खास बातें

Why is Gwalior Famous: मध्य प्रदेश को उसकी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और विविधता के लिए जाना जाता है। इन सबमें ग्वालियर का नाम सबसे ऊपर आता है। चंबल के करीब बसे इस शहर ने इतिहास के पन्नों में अपनी खास पहचान बनाई है। चाहे वो वीरता की गाथाएं हों, स्थापत्य की मिसालें या फिर संगीत की मधुर धुनें…आइए जानते हैं इस शहर से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें… संगीत की आत्मा ग्वालियर को यूं ही ‘City of Music’ नहीं कहा जाता। यूनेस्को ने 2023 में इसे आधिकारिक रूप से “संगीत का शहर” घोषित किया। यह वही धरती है जहां महान संगीतकार और अकबर के नवरत्नों में शामिल तानसेन का जन्म हुआ था। तानसेन की ध्रुपद शैली ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई ऊंचाई दी। आज भी उनके सम्मान में हर साल तानसेन संगीत समारोह का आयोजन होता है। देश का पहला भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) यहीं स्थापित हुआ था, जिसे आज अटल बिहारी वाजपेयी IIIT के नाम से जाना जाता है। 1997 में स्थापित यह संस्थान तकनीक और इनोवेशन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। जय विलास पैलेस के भव्य झूमरों की कहानी ग्वालियर के जय विलास पैलेस में ऐसी भव्यता देखने को मिलती है जो देश में कहीं और मुश्किल से मिलती है। इस महल की सबसे बड़ी खासियत हैं यहाँ लगे दो विशाल झूमर, जिनका वजन करीब 7 टन है। इन झूमरों को भारत के सबसे बड़े झूमरों में गिना जाता है । कहा जाता है कि इन झूमरों की मजबूती जांचने के लिए उनकी छत पर हाथियों को चलाया गया था। जब कोई मेहमान इस महल में कदम रखता है, तो इन झूमरों की भव्यता और चमक देख कर दंग रह जाता है। दुनिया का दूसरा सबसे पुराना ‘शून्य’ ग्वालियर किला गणितीय इतिहास की दृष्टि से भी बेहद खास है। इस किले की दीवारों पर स्थित चतुर्भुज मंदिर में दुनिया का दूसरा सबसे पुराना ज्ञात ‘शून्य’ (0) अंक उकेरा गया है। यह मंदिर 876 ईस्वी में प्रतिहार शासक बोज देव के शासनकाल में बनवाया गया था। ग्वालियर का प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल ग्वालियर की शिक्षा व्यवस्था भी पूरे देश में अलग पहचान रखती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है सिंधिया स्कूल, जो भारत के सबसे महंगे और प्रतिष्ठित स्कूलों में गिना जाता है। इस स्कूल की औसत वार्षिक फीस करीब 12 लाख रुपये बताई जाती है, जो इसे एक एलिट बोर्डिंग स्कूल बनाती है। राजा माधवराव सिंधिया द्वारा 1897 में स्थापित यह स्कूल आज भी शाही परंपराओं और आधुनिक शिक्षा का अनोखा संगम पेश करता है। यहां देशभर से विद्यार्थी आते हैं। कई नामी-गिरामी हस्तियां इस स्कूल के पूर्व छात्र रह चुके हैं। ग्वालियर की धरती से निकला एक महान नेता ग्वालियर देश को दिशा देने वाले महान व्यक्तित्वों की जन्मभूमि रहा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को यहीं, ग्वालियर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।