– आज भी गूंजती है लोककवि घाघ की कविताएं
मध्यप्रदेश के समृद्ध जिलों में भिंड जिला शुमार हैं. यहां से राजनीति में एक से बढक़र एक हस्ती निकली तो साहित्य, कलां और खेलों में भी इस जिले का विशेष योगदान रहता है. साहित्य के क्षेत्र में दो बड़े नाम लोककवि घा और रामनाथ सिंह परिहार किसी पहचान के मोहताज नहीं है. आज भी उनकी कविताएं भिंड में आयोजित होने वाले साहित्यक मंचों पर गुनगुनाई जाती है. इसी तरह खेल में भी भिंड जिले का विशेष योगदान रहता है. भारत की सेना के मामले में तो भिंड की धरती को सैनिकों की धरती कहा जाता है. भिंड के लगभग सभी गांवों से कोई न कोई युवा सेना में शामिल हैं. आज भी युवा सेना में जाने के लिए ललायित हैं और सुबह से लेकर देर शाम तक सेना में जाने की तैयारियों में जुटे नजर आते हैं.
साहित्य के क्षेत्र में योगदान
भिंड जिले ने साहित्य के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया है. लोककवि घाघ (घाघ भड्डरी) साहित्य में बड़ा नाम है. इनके जन्म को लेकर मतभेद है, कुछ विद्वान उनके जन्म स्थान को उत्तर प्रदेश के कन्नौज या कानपुर का बताते हैं. जबकि कई विद्वान उनकी जन्म स्थली भिंड की धरती को मानते हैं. इतिहासकारों के अनुसार लोककवि घाघ 16वीं-17वीं शताब्दी के कवि बताए जाते हैं, जो कृषि और मौसम संबंधी कहावतों के प्रसिद्ध हैं. इसी तरह रामनाथ सिंह परिहार भी साहित्य में बड़ा नाम बताया जाता है. साहित्यकार रामनाथ सिंह परिहार (उपनाम रसिक) ने बुदंली और हिंदी साहित्य दोनों में ही अपना प्रमुख योगदान दिया है.
लोककलाएं-रंगमंच आज भी चलन में
भिंड जिले में लोककलां व रंगमंच आज भी प्रचलित हैं. यहां लोकगीत, फाग, राई, स्वांग जैसी कला विधाएं प्रचलित हैं. होली के अवसर पर फाग गायन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक आयोजनों के दौरान कीर्तन व भजन मंडली खासी सक्रिय रहती है.
सैनिकों की धरती कहलाता भिंड
भिंड की धरती सैनिकों की धरती कहलाती है. दरअसल, भिंड जिले से बड़ी संख्या में युवा भारत की सेना में शामिल हैं. यहां के युवाओं ने कारगिल युद्ध सहित पाकिस्तान-चीन से हुए युद्ध में अपनी महती भूमिका निभाते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया है. यहां के युवाओं की शहाद को भिंड की धरती आज भी नमन करती है. अब भी यहां के युवाओं में सेना में जाने के लिए खासा जोश नजर आता है. सेना में भर्ती के लिए युवा सुबह और शाम के समय तैयारियों में जुटे नजर आते हैं.
खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही प्रतिभाएं
खेल (स्पोर्टस) में भिंड जिले का विशेष योगदान तो नहीं रहा, लेकिन वर्तमान में कई प्रतिभाएं अपनी कौशल की दम पर उभरती नजर आ रही है. युवा क्रिकेटर विष्णु भारद्वाज को बीसीसीआई द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एमए चिंदबरम अवार्ड से सम्मानित किया है, जिसमें विष्णु भरद्वाज ने 2023-24 में अंडर-19 कूच बिहार में बिहार ट्रॉफी के सात मैचों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का 38 विकेट लेकर रिकार्ड बनाया था. इसी तरह भिंड के मेहगांव क्षेत्र के अडोखर गांव के सुमित कुशवाह का सिलेक्शन भी हाल ही में मध्यप्रदेश रणजी ट्रॉफी में हुआ है. खेल कौशल ें युवतियां भी अपना लोहा मनवा रही हैं. पूजा ओझा ने पैरालिंपिक खेलों में अपनी जगह स्थापित की है. उन्होंने कायकिंग और केनोइंग जैसे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. पूजा का यन पेरिस पैरालंपिक खेल 2024 के लिए हुआ था. पूजा ने चीन में आयोजित पैरा एशियन केनो क्वालिफायर चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक हासिल किए थे. इसी तरह अंजलि शिवहरे ने रोइंग में नेशनल मेडल जीता है. यह खेल खतरनाक खेलों में शुमार है.