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त्रेतायुग और द्वापर युग के इतिहास से जुड़ा है अशोकनगर

– माता सीता ने अशोकनगर की धरती पर ही काटा था वनवास

– भगवान श्री कृष्ण के प्रतिद्वंदी शिशुपाल के अधीन थी अशोकनगर की धरती

– सम्राट अशोक के नाम पर रखा गया नाम अशोकनगर

मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित अशोकनगर जिला समृद्ध और खुशहाल जिला है. 15 अगस्त 2003 को यह जिला गुना से अलग हटकर स्वतंत्र रूप से अपने अस्तित्व में आया है. इतिहास के मुताबिक अशोनगर जिले का संबंध द्वापर युग और त्रेता युग से रहा है. इतिहास के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के प्रतिद्वंदी शिशुपाल चेदि राज्य का हिस्सा अशोनगर रहा है, इसे जनपद काल में चेदि जनपद के नाम से भी जाना जाता है. जबकि मान्यता है कि रामायण काल (त्रेता युग) में माता सीता ने अशोकनगर की धरती पर ही वनवास काटा था. अशोकनगर में माता सीता करीला धाम मंदिर भी है, जहां प्रतिवर्ष होली की रंगपचंमी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रदेश सहित देश भर से श्रद्धालु अपनी कामना लेकर आते हैं. 

इतिहास के अनुसार छठी शताब्दी ईसा पूर्व में अशोकनगर की धरती अवंती, दर्शाण और चेदि जनपदों के अधीन आती है. जबकि बाद में नंद, मौर्य, शुंग और मगद राजाओं ने भी यहां शासन किया है. गुप्त, हर्षवर्धन, प्रतिहार राजवंश, मुगल काल, मराठा और सिंधिया शासकों का भी यहां शासन रहा है. इतिहासकारों के अनुसार मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद गुप्त और मौखरी शासकों ने यहां राज किया, जबकि 8वीं-9वीं शताब्दी में यहां की धरती पर हर्षवर्धन के अधीन थी. 8वीं-9वीं सदी में ही यहां की धरती प्रतिहार राजवंश के कब्जे में आ गई थी. प्रतिहार राजवंश के वंशज कीर्तिपाल ने 10वीं-11वीं शताब्दी ई. में चंदेरी शहर की स्थापना की थी. जबकि प्रतिहारों के पतन के बाद 11वीं शताब्दी में यहां मुगल शासक महमूद गजनवी ने आक्रमण कर दिया था, जिसके बाद यहां तुर्क, अफगान और मुगल शासकों ने शासन किया. मराठा और सिंधिया शासकों ने भी इस धरती पर राज किया है. 

सम्राट अशोक के नाम पर रखा नाम 

इतिहासकारों के नाम पर अशोकनगर का नाम सम्राट अशोक के नाम पर रखा गया है. ऐसा कहा जाता है कि सम्राट अशोक उज्जैन को जीतने के बाद लौटते समय एक रात के लिए इसी क्षेत्र में रुके थे और विश्राम किया था, तभी से इस क्षेत्र का नाम अशोकनगर पड़ा. हालांकि इससे पहले यह क्षेत्र पछार के नाम से जाना जाता था. 

आज भी मौजूद हैं पुराने प्रमाण

अशोकनगर जिले में आज भी राजा महाराज काल के प्रमाण आज भी मौजूद हैं. अशोकनगर से 60 किलोमीटर की दूरी पर ऐतिहासिक शहर चंदेरी है. चंदेरी शहर का प्राचीन नाम चंदगिरी था. यह शहर अपनी साडिय़ों के लिए पूरे देश में जाना जाता है. चंदेरी शहर में चंदेरी का किला, कौशक महल, बैजू बावरा की समाधि और काले सैयद का मकबरा है, जो उस समय की यादों को ताजा करता है. इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं. इसी तरह मां जानकी मंदिर, वाल्मीकि आश्रम, प्राचीन सीतामढ़ मंदिर मौजूद हैं. इसी तरह अशोकनगर के पास ही ऐतिहासिक प्राचीन गांव तूमैन है. इस गांव में आज भी गुप्त संवद 116 (435 ई.) का महत्वपूर्ण शिलालेख मिला है, जो कुमार गुप्त के समय का है. 

माता सीता ने काटा था वनवास

मान्यता है कि रामायण काल में माता सीता ने अशोनगर में ही अपने पुत्र लव और कुश के साथ वनवास काटा था. अशोकनगर जिले में ही प्राचीन मां जानकी मंदिर है. मान्यता है कि यहां वाल्मीकि आश्रम भी था. किवदंती है कि सीतामढ़ी मंदिर क्षेत्र में माता सीता यहां ठहरी थी, यही उन्होंने वनवास काल काटा था, यहीं वह अपने दोनों पुत्र लव और कुश के साथ रहती थी, यही रसोई बनाती थी, इसलिए इसे सीता रसोई से भी जोड़ा जाता है. हर साल होली पर्व की रंगपंचमी के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है. इस मेले में प्रदेश सहित देश भर से श्रद्धालु अपनी मन्नतों को लेकर पहुंचते ेहैं. 

जिले की वर्तमान स्थित

अशोकनगर जिले का गठन 15 अगस्त 2003 को हुआ है. गुना जिले से अलग कर यह स्वतंत्र जिले के रूप में अस्तित्व में आया है. अशोकनगर जिले में 328 ग्राम पंचायते हैं, जबकि 328 गांव, 6 नगरीय निकाय और 8 तहसील हैं. अशोकनगर जिले में 9 शासकीय कॉलेज, 11 डॉकघर, 25 बेंक, 17 सरकारी अस्पताल, 22 विद्युत वितरण कंपनी के दफ्तर और 15 सरकारी विद्यालय हैं.

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