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विधानसभा चुनाव में 1957 से 80 तक श्योपुर में जीत के लिए तरसी कांग्रेस

Congress

– संसदीय चुनाव में रहा बीजेपी का गढ़

– हाल ही हुए विजयपुर सीट पर उपचुनाव ने बटोरी खूब सुर्खियां

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले की श्योपुर-विजयपुर विधानसभा सीट की बड़ी ही रोचक कहानी है. इस सीट पर जातीय समीकरण बहुत तेजी से हावी है, यही कारण है कि अब तक कोई भी दल श्योपुर व विजयपुर को अपना गढ़ नहीं बना सका है. श्योपुर विधानसभा के शुरुआती दौर की बात करें तो यहां 1957 से 1980 तक कांग्रेस जीत के लिए तरस गई, हालांकि अब बीते दो चुनाव से जरुर यहां कांग्रेसी विधायक हैं. 

बता दें साल 1998 तक शिवपुरी जिले में श्योपुर तहसील समाहित थी, हालांकि 1998 में इसे स्वतंत्र जिले का दर्जा मिला. श्योपुर जिले में दो विधानसभा सीट आती है, जिसमें श्योपुर और विजयपुर शामिल हैं. हालांकि संसदीय सीट के मामले में अब भी यह दोनेां विधानसभा मुरैना संसदीय सीट में समाहित है. श्योपुर जिले की वर्तमान स्थिति की बात करें तो यह जिला 6606 स्क्वे. किमी. क्षेत्र में फैला है. यहां की कुल आबादी 6 लाख 87 हजार 861 है, जिनमें पुरुष 3 लाख 61 हजार 784 और महिला 3 लाख 26 हजार 77 हैं. श्योपुर जिले में कुल गांव 585 हैं. यहां तीन नगरीय निकाय आते हैं. 

श्योपुर विधानसभा पर एक नजर 

श्योपुर विधानसभा में पहला चुनाव साल 1957 में हुआ था. पहले चुनाव में हिंदू महासभा से रघुनाथ विधायक बने थे, जबकि 1962 में हिंदू महासभा से रामस्वरूप, 1967 में भारतीय जनसंघ से एस तिवारी, 1972 में भारतीय जनता संघ से लोकेंद्र सिंह, 1977 में जनता पार्टी से गुलाब सिंह, 1980 में कांग्रेस (आई) से बद्रीप्रसाद, 1985 में कांग्रेस से सत्यभानु चौहान, 1990 में भाजपा से गुलाब सिंह, 1993 में भाजपा से रामाशंकर भारद्वाज, 1998 में बृजराज सिंह निर्दलीय, 2003 में भाजपा से दुर्गालाल विजय, 2008 में कांग्रेस से बृजराज सिंह, 2013 में भाजपा से दुर्गालाल विजय, 2018 में कांग्रेस से बाबू जंडेल एवं 2023 में भी कांग्रेस के बाबू जंडेल ने यहां से जीत हासिल की थी. 

मुरैना संसदीय सीट में समाहित है श्योपुर

श्योपुर जिले की दोनों सीटें श्योपुर और विजयपुर की संसदीय सीट मुरैना लगती है. संसदीय चुनाव में दोनों ही सीटों के मतदाता मुरैना संसदीय सीट के लिए मतदान करते हैं. साल 1996 से यह संसदीय सीट भाजपा गढ़ गई. 1996 से 2004 तक अशोक अर्गल सांसद चुने गए, 2009 में बीजेपी से नरेन्द्र सिंह तोमर, 2014 में अटल बिहार वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा, 2019 में नरेन्द्र सिंह तोमर और वर्तमान में शिवमंगल सिंह तोमर यहां से बीजेपी सांसद हैं. 

श्योपुर-विजयपुर से यह जनप्रतिनिधि विशेष

श्योपुर-विजयपुर क्षेत्र से अनेक जनप्रतिनिधि शामिल हैं. जिनमें बाबू जंडेल जो वर्तमान में श्योपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. पूर्व विधायक दुर्गालाल विजय भी बड़ा नाम है. बृजराज सिंह कांग्रेस से पूर्व में विधायक रह चुके हैं. पूर्व विधायक रामाशंकर भारद्वाज व गुलाब सिंह शामिल हैं. इसी तरह विजयपुर विधानसभा से मुकेश मल्होत्रा, जिन्होंने हाल ही में हुए उपचुनाव में दिग्गज नेता रामनिवास रावत को पराजित किया है. वहीं विजयपुर सीट से रामनिवास रावत भी कद्दावर नेता हैं, जो पहले कांग्रेस से थे, जबकि वर्तमान में बीजेपी नेता हंै. सीताराम आदिवासी भाजपा से पूर्व विधायक रह चुके हैं. बाबूलाल मेवाड़ा भी पूर्व विधायक बीजेपी एवं जगमोहन सिंह जो निर्दलीय और भारतीय जनसंघ से विधायक रह चुके हैं. 

उपचुनाव ने खूब बटोरी सुर्खियों

बीते 7-8 महीने पहले प्रदेश की दो प्रमुख विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा रिक्त की गई बुदनी विधानसभा और विधायक रामनिवास रावत द्वारा बीजेपी में आस्था जता देने की वजह से विजयपुर सीट शामिल थी. दोनों ही सीट जमकर चर्चाओं में थी. बुदनी सीट शिवराज सिंह चौहान की वजह से जबकि, विजयपुर सीट रामनिवास रावत की वजह. दरअसल, रामनिवास रावत ने विजयपुर से विधायक रहते हुए बीजेपी में अपनी आस्था जता दी थी, बीजेपी ने उन्हें वन मंत्री जैसा प्रमुख दायित्व दे दिया थी, इसके बाद यहां उपचुनाव हुए. जिसमें भारी कशमकश भरे मुकाबले में पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को हार का सामना करना पड़ गया और मुकेश मल्होत्रा चुनाव जीत गए, जो वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं. 

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