Guna News: गुना शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित गढ़ा गांव के लोग आज भी खुले मैदान में ही अपने परिजनों के अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। पिछले 12 वर्षों से ग्रामीण मुक्तिधाम की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज़ अब तक प्रशासन तक नहीं पहुंच सकी है।
खुले में अंतिम संस्कार की मजबूरी
गांव के निवासी प्रदीप कुमार शर्मा के पिता सुदामा प्रसाद शर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया। शनिवार सुबह परिवार और रिश्तेदार शव लेकर गांव के बाहर एक खुली जगह पर पहुंचे, जहां अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि यह जगह अंतिम संस्कार के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल होती है, लेकिन यहां मुक्तिधाम या शेड जैसी कोई भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे परिवारों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पगडंडी से गुजरकर पहुंचना पड़ता है अंतिम संस्कार स्थल
ग्रामीणों ने बताया कि मुक्तिधाम तक पहुंचने के लिए कोई पक्का या उचित रास्ता नहीं है। शव लेकर ऊबड़-खाबड़ और संकुचित पगडंडी से गुजरना पड़ता है, जो अंतिम संस्कार के दौरान परिवार वालों के लिए अतिरिक्त मुश्किलें पैदा करता है। शनिवार को भी इसी कठिन रास्ते से शव को मुक्तिधाम तक ले जाया गया।
गांव के लोग बताते हैं कि बरसात के मौसम में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। पानी भर जाने के कारण खुले मैदान में अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो जाता है, जिससे शवों को तिरपाल के नीचे ही दफनाना पड़ता है। इस वजह से परिवारों को भारी असुविधा और मानसिक कष्ट सहना पड़ता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि गांव में एक स्थायी मुक्तिधाम का निर्माण किया जाए और वहां तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता तैयार किया जाए, ताकि अंतिम संस्कार के समय इन परेशानियों से निजात मिल सके।
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