MP NEWS: ग्वालियर। प्रदेश के हजारों कर्मचारियों के लिए दशहरा और दिवाली से पहले बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक अहम फैसले में पीएचई, पीडब्ल्यूडी और जल संसाधन विभाग के नियमित न्यूनतम वेतनमान पर कार्यरत कर्मचारियों को जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ देने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय से राज्य भर में करीब 5000 से अधिक कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलने वाला है।
यह मामला मूल रूप से मदन सिंह कुशवाह नामक कर्मचारी द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने पीएचई विभाग में संविदा कर्मचारी के रूप में कार्य शुरू किया था। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें नियमित किया गया और न्यूनतम वेतनमान का लाभ भी दिया गया। हालांकि, विभाग ने उन्हें दिसंबर 2016 से छठवां वेतनमान ही स्वीकृत किया और सातवां वेतनमान देने से इनकार कर दिया।
इसके खिलाफ मदन सिंह ने 2021 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब अन्य विभागों के कर्मचारियों को जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दिया गया है, तो इन कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें भी जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलना चाहिए।
इस ऐतिहासिक फैसले का असर सिर्फ पीएचई विभाग तक सीमित नहीं रहेगा। पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) और जल संसाधन विभाग में भी न्यूनतम वेतनमान पर कार्यरत कर्मचारियों को इसी तर्ज पर सातवें वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 से देना होगा। इससे जुड़े करीब 5000 से ज्यादा कर्मचारी पूरे प्रदेश में कार्यरत हैं, जिन्हें अब बकाया वेतन और बढ़े हुए लाभ मिलने की उम्मीद है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद संबंधित विभागों के कर्मचारियों में खुशी की लहर है। दशहरा और दिवाली से पहले आए इस फैसले को कर्मचारी वर्ग के लिए “त्योहारी तोहफा” माना जा रहा है। अब उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग कोर्ट के आदेश का जल्द पालन करते हुए कर्मचारियों को समय पर लाभ पहुंचाएंगे।