chambal dacoits list: मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमाओं में फैला चंबल का इलाका कभी देश का सबसे बड़ा डकैत बेल्ट माना जाता था। खासकर मध्य प्रदेश के चंबल बीहड़ को सबसे खतरनाक और दुर्गम क्षेत्र माना जाता है, जहां एक दौर में खूंखार डकैतों का राज चलता था।
ये वो दौर था जब पान सिंह तोमर, ददुआ, मलखान सिंह और फूलन देवी जैसे नाम जंगलों से निकलकर अखबारों की सुर्खियां बनते थे। इनका खौफ आम जनता से लेकर सत्ता तक महसूस करती थी। आइए जानते हैं चंबल के इतिहास के उन कुख्यात डकैतों के बारे में, जिनके नाम से पूरा इलाका थर्रा उठता था।
मान सिंह से लेकर मोहर सिंह तक का खौफ
चंबल के बीहड़ों में एक दौर ऐसा भी था जब सैकड़ों डाकुओं ने अपना आतंक फैलाया हुआ था। चाहे वो कुख्यात डाकू मान सिंह हों या फिर पान सिंह तोमर, माधो सिंह या मोहर सिंह, इन सभी ने चंबल के बीहड़ों को अपना किला बना लिया था। इन डकैतों का इतना खौफ था कि आम जनता तो दूर, नेता और प्रशासन तक उनकी मर्जी से काम करते थे।
इनका नाम सुनते ही इलाके में सन्नाटा पसर जाता था। आज हम आपको चंबल के उन्हीं कुख्यात डाकुओं की ‘कुंडली’ यानी उनके इतिहास, अपराध और आतंक की कहानियां बताएंगे, जिनका खौफ दशकों तक कायम रहा।
डकैत पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर एक शानदार एथलीट थे, जिन्होंने भारतीय सेना की ओर से स्टिपलचेज़ दौड़ में कई रिकॉर्ड बनाए। बता दें हालात ऐसे बने कि उन्हें मजबूरी में बंदूक उठानी पड़ी। अपने परिवार और ज़मीन के लिए लड़ते-लड़ते वे कानून के खिलाफ चले गए और चंबल घाटी में एक कुख्यात बागी के रूप में पहचाने जाने लगे।
1981 में भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने एक मुठभेड़ में पान सिंह तोमर को मार गिराया। उनके जीवन की यह त्रासदी यह दर्शाती है कि कभी-कभी हालात एक राष्ट्रीय खिलाड़ी को भी अपराध की राह पर ले जा सकते हैं।
डकैत निर्भय सिंह गुज्जर
चंबल के बीहड़ों में आतंक का दूसरा नाम बन चुका था निर्भय सिंह गुज्जर। उसके पास करीब 80 डाकुओं की एक संगठित फौज थी, जो आधुनिक हथियारों से लैस थी। एके-47 राइफल, नाइट विजन दूरबीन और बुलेटप्रूफ जैकेट से सुसज्जित निर्भय किसी सैन्य कमांडो से कम नहीं लगता था। उसके खौफ से आम जनता ही नहीं, बड़े-बड़े नेता और अफसर भी कांपते थे।
निर्भय सिंह गुज्जर पर डकैती के अलावा हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के कई मामले दर्ज थे। आखिरकार, 2005 में पुलिस ने एक मुठभेड़ में उसे मार गिराया। उसकी मौत के साथ चंबल के डकैतों के एक खूनी अध्याय का अंत हुआ, लेकिन उसका नाम आज भी बीहड़ों में खौफ की मिसाल बना हुआ है।
फूलन देवी
फूलन देवी चंबल घाटी की सबसे कुख्यात और चर्चित डकैतों में से एक रहीं, जिन्हें दुनिया “बैंडिट क्वीन” के नाम से जानती है। समाज के ऊंची जातियों द्वारा यौन शोषण और अत्याचार का शिकार होने के बाद उन्होंने हथियार उठाए और एक डकैत गिरोह में शामिल हो गईं। फूलन ने प्रतिशोध की आग में जलते हुए उच्च जाति के गांवों को निशाना बनाया ।1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के बाद फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया।
इसके बाद उन्होंने ग्यारह साल जेल में बिताए। रिहा होने के बाद फूलन देवी ने राजनीति में कदम रखा और एक बार संसद सदस्य भी बनीं। उनका जीवन एक बार फिर हिंसा की भेंट चढ़ गया, जब 2001 में उनकी दिल्ली स्थित आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई।
मान सिंह
चंबल की वीरभूमि से ताल्लुक रखने वाले मान सिंह का नाम सुनते ही लोग थर-थर कांप उठते थे। एक राजपूत परिवार से जुड़े मान सिंह को चंबल का सबसे खतरनाक डकैत माना जाता था। उसने अमीरों से लूट की लेकिन गरीब और लाचारों की मदद करना कभी नहीं छोड़ा, जिससे वह कुछ हद तक लोकायक बहादुर की छवि में भी था।
मान सिंह के खिलाफ 1112 लूट और 125 हत्या के गंभीर मामले दर्ज थे, जो उसकी खतरनाक गतिविधियों का प्रमाण थे। अंततः 1955 में मध्य प्रदेश पुलिस के साथ भिंड जिले में हुई मुठभेड़ में मान सिंह की मौत हो गई। इस घटना ने चंबल की डकैत दुनिया में एक युग का अंत कर दिया।
शिव कुमार पटेल (ददुआ)
शिव कुमार पटेल ( ददुआ के नाम से जाना जाता है) का जन्म 1957 में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के देवकली गांव में हुआ था। अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए वह डकैतों के गिरोह में शामिल हुआ और जल्द ही बीहड़ों में सबसे खूंखार और ताकतवर गिरोह का नेता बन गया। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, जबरन वसूली और डकैती समेत 400 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।
ददुआ की क्रूरता का आतंक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट, बांदा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में लगभग तीन दशकों तक फैला रहा। इसके बावजूद स्थानीय लोग उसे एक “रॉबिनहुड” के रूप में भी देखते थे, जो गरीबों की मदद करता और उनके लिए न्याय की लड़ाई लड़ता था।
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