ग्वालियर की इन जगहों को करें एक्सप्लोर, इतिहास और खूबसूरती से भरे 5 टूरिस्ट डेस्टिनेशन

Gwalior Tourism: मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक शहर ग्वालियर अपनी अनोखी विरासत और खूबसूरती के लिए मशहूर है। ऊँचाई पर स्थित ग्वालियर किला हो या प्राचीन मंदिर और भव्य महल, हर जगह इतिहास की झलक मिलती है। संगीत और संस्कृति से समृद्ध यह शहर पर्यटकों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इस लेख में हम आपको ग्वालियर के उन प्रमुख पर्यटन स्थलों से रूबरू कराएंगे, जो हर सैर को यादगार बना देते हैं। ग्वालियर किला ग्वालियर का किला भारत के सबसे भव्य और मजबूत किलों में गिना जाता है। पहाड़ी की ऊँचाई पर स्थित यह किला पूरे शहर का मनमोहक नज़ारा प्रस्तुत करता है। किले परिसर में बने गुजरी महल, मान मंदिर महल और सहस्रबाहु मंदिर अपनी-अपनी खासियत के लिए प्रसिद्ध हैं। गुजरी महल अब संग्रहालय के रूप में स्थापित है, जहाँ प्राचीन मूर्तियों का अनोखा संग्रह देखने को मिलता है। मान मंदिर महल अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। वहीं सहस्रबाहु मंदिर नक्काशीदार दीवारों और कलात्मक शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। जय विलास पैलेस म्यूजियम ग्वालियर का जय विलास पैलेस म्यूजियम सिंधिया राजवंश की वैभवशाली जीवनशैली को करीब से दिखाता है। 19वीं सदी में निर्मित यह भव्य महल यूरोपीय शैली की शानदार वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है। म्यूजियम में शाही वस्त्र, प्राचीन हथियार, आकर्षक फर्नीचर और राजघराने से जुड़ी कई दुर्लभ वस्तुएं संजोई गई हैं। यहाँ का दरबार हॉल विशेष आकर्षण का केंद्र है, जहाँ लगे विशाल झूमर राजसी वैभव की कहानी बयां करते हैं। तानसेन का मकबरा ग्वालियर स्थित तानसेन का मकबरा भारतीय संगीत परंपरा का अनमोल धरोहर स्थल है। यह महान संगीतज्ञ तानसेन की समाधि है, जो अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उनकी गूंजती हुई रागिनी और गायकी आज भी संगीत प्रेमियों को प्रेरित करती है। हर वर्ष दिसंबर में यहाँ तानसेन संगीत समारोह आयोजित होता है, जिसमें देशभर से नामी कलाकार शिरकत करते हैं और सुरों की महफ़िल सजाते हैं। यह स्थल संगीत प्रेमियों के लिए एक तीर्थ जैसा महत्व रखता है। सूर्य मंदिर ग्वालियर का सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और आधुनिक स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। बिरला परिवार द्वारा निर्मित यह मंदिर दिल्ली स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर की प्रतिकृति माना जाता है। मंदिर में भगवान सूर्य की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। यहाँ का शांत वातावरण ध्यान के लिए आदर्श माना जाता है। साथ ही इसकी नक्काशीदार मूर्तिकला और सुंदर वास्तुकला इसे ग्वालियर का एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बनाती हैं। फूल बाग ग्वालियर का फूल बाग शहर के सबसे सुंदर और मनमोहक उद्यानों में गिना जाता है। यहाँ रंग-बिरंगे फूलों की विभिन्न किस्में पर्यटकों और स्थानीय लोगों का मन मोह लेती हैं। सुबह-शाम टहलने के लिए यह स्थान बेहद आनंददायक है। बच्चों के खेलने के लिए भी विशेष जगह उपलब्ध होने के कारण यह परिवार संग समय बिताने का आदर्श स्थल है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण फूल बाग ग्वालियर आने वाले प्रत्येक पर्यटक के लिए एक अच्छा गंतव्य है।
डेफ ओलंपिक में दिखेगा MP का टैलेंट, धनंजय टेनिस टीम में शामिल

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर निवासी टेनिस खिलाड़ी धनंजय दुबे ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उनका चयन जापान में होने वाले डेफ ओलंपिक के लिए किया गया है। धनंजय 15 से 27 नवंबर तक टोक्यो में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और अपने खेल का जौहर दिखाएंगे। प्रदर्शन से मिला ओलंपिक का टिकट अहमदाबाद में 20 से 27 अगस्त तक हुए ट्रायल में धनंजय दुबे ने बेहतरीन खेल दिखाकर चयनकर्ताओं को प्रभावित किया। इसी प्रदर्शन के दम पर उनका चयन डेफ ओलंपिक के लिए हुआ है। धनंजय मध्यप्रदेश के विक्रम अवार्ड से सम्मानित टेनिस खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे साल 2022 में ब्राज़ील डेफ ओलंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। खेल और नौकरी दोनों में संतुलन बना रहे धनंजय धनंजय दुबे न केवल टेनिस कोर्ट पर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं बल्कि पेशेवर जीवन में भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वे वर्तमान में अहमदाबाद में आयकर इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। हाल ही में 29 जनवरी को पुणे में आयोजित लॉन टेनिस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा 21-22 फरवरी को बेंगलुरु में हुई इंटर सर्विसेज प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया। मार्च में नेशनल चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने एक बार फिर मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया।
ग्वालियर पुलिस के सामने घोड़े को लेकर छिड़ा विवाद, राजीनामे से सुलझा मामला

Police Solved The “horse” Dispute: ग्वालियर में रविवार को एक अनोखी घटना सामने आई। एक घोड़ा रहस्यमयी तरीके से बार-बार तीन किलोमीटर दूर महलगांव इलाके के एक ही घर पहुंच जाता था। घरवाले हर बार घोड़े को संभालते और पुलिस को भी सूचना देते, ताकि उन पर चोरी का शक न हो। ग्वालियर में घोड़े का मज़ेदार विवाद सुलझा रविवार को महलगांव के निवासी किन्नू अपने घर बार-बार आने वाले घोड़े को लेकर विश्वविद्यालय थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक साल में यह घोड़ा दूसरी बार उनके घर पहुँच गया है। किन्नू ने घोड़े को खिला-पिला कर अपने घर बाँध लिया था। मामले की पड़ताल में पता चला कि घोड़ा थाटीपुर निवासी कोमल का है। पुलिस ने कोमल को थाने बुलाया, जिन्होंने शुरू में किन्नू पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगाया। पुलिस के हस्तक्षेप से मामला समझौते और राजीनामे के साथ सुलझ गया। थाने में समझौते के दौरान घोड़े के मालिक कोमल ने स्वीकार किया कि घोड़े की देखभाल और खिलाने पर जितना खर्च हुआ है, उसकी भरपाई वे करेंगे। हालांकि, इस बात का कारण न तो कोमल बता पाए और न ही किन्नू कि आखिर घोड़ा बार-बार तीन किलोमीटर दूर उनके घर क्यों पहुंच जाता है। यह रहस्यमयी आदत सभी के लिए पहेली बनी हुई है। https://chambalkichugli.com/supreme-court-initiative-on-transgender-inclusive-sex-education-notices-to-six-states-including-ncert/ पुलिस ने कराया समझौता एएसआई सुरेन्द्र सिंह (विश्वविद्यालय थाना) ने बताया कि घोड़े को लेकर दोनों पक्षों के बीच राजीनामा हो गया है। समझौते के तहत घोड़े को खिलाने-पिलाने का खर्च मालिक को चुकाना होगा। साथ ही पुलिस ने घोड़े के मालिक को यह सलाह भी दी कि वह अपने घोड़े को बांधकर रखे, ताकि भविष्य में इस तरह का विवाद दोबारा न हो।
ट्रांसजेंडर समावेशी सेक्स एजुकेशन पर सुप्रीम कोर्ट की पहल, NCERT समेत छह राज्यों को नोटिस

Comprehensive Sexuality Education: देशभर के स्कूलों में यौन शिक्षा को ट्रांसजेंडर समावेशी बनाने की मांग अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गई है। अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार, एनसीईआरटी और छह राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह पहल दिल्ली की वसंत वैली स्कूल की कक्षा 12वीं की छात्रा काव्या मुखर्जी साहा की ओर से दायर याचिका के बाद सामने आई है। ट्रांसजेंडर समुदाय की अनदेखी पर उठे सवाल काव्या मुखर्जी साहा की याचिका में तर्क दिया गया है कि एनसीईआरटी और एससीईआरटी की मौजूदा किताबों में Comprehensive Sexuality Education (CSE) के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय का जिक्र तक नहीं है। उनका कहना है कि यदि बच्चों को शुरुआती स्तर से ही जेंडर संवेदनशीलता और विविधता की शिक्षा नहीं दी गई, तो समाज में बराबरी और स्वीकार्यता स्थापित करना असंभव होगा। https://chambalkichugli.com/ashoknagar-is-associated-with-the-history-of-tretayug-and-dwapar-era/ समावेशी शिक्षा पर बाध्यकारी दिशा-निर्देश की मांग याचिका में स्पष्ट किया गया है कि देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर सेंसिटाइजेशन और ट्रांसजेंडर इनक्लूसिव यौन शिक्षा को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए। इसके लिए बाध्यकारी दिशा-निर्देश जारी करने की गुहार लगाई गई है। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, एनसीईआरटी और छह राज्यों को नोटिस भेजकर विस्तृत जवाब मांगा है।